सुख गया गुलाब

सुख गया गुलाब
पर महकता है अब भी कभी-कभी
किताबो के बिच दब गया है
पर दीखता है अब भी कभी-कभी
बीत गया जूनून
पर जोस आता है अब भी कभी-कभी
वो याद करते नही ...
पर सपनो में आते है अब भी कभी-कभी
दर्मिया फासला अब भी बहुत है
पर मिल जाते है राह में वो अब भी कभी-कभी
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सुख गया गुलाब
पर महकता है अब भी कभी-कभी ।
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