Wednesday, 30 December 2015

सुख गया गुलाब



सुख गया गुलाब
पर महकता है अब भी कभी-कभी


किताबो के बिच दब गया है
पर दीखता है अब भी कभी-कभी


बीत गया जूनून
पर जोस आता है अब भी कभी-कभी 


वो याद करते नही ...
पर सपनो में आते है अब भी कभी-कभी

दर्मिया फासला अब भी बहुत है
पर मिल जाते है राह में वो अब भी कभी-कभी
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..................................

सुख गया गुलाब
पर महकता है अब भी कभी-कभी ।

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