Wednesday, 30 December 2015

सुख गया गुलाब



सुख गया गुलाब
पर महकता है अब भी कभी-कभी


किताबो के बिच दब गया है
पर दीखता है अब भी कभी-कभी


बीत गया जूनून
पर जोस आता है अब भी कभी-कभी 


वो याद करते नही ...
पर सपनो में आते है अब भी कभी-कभी

दर्मिया फासला अब भी बहुत है
पर मिल जाते है राह में वो अब भी कभी-कभी
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सुख गया गुलाब
पर महकता है अब भी कभी-कभी ।

याद दिल में बसा के क्या  फायदा 


याद दिल में बसा के क्या  फायदा ,
गम दिल में छुपा के क्या फायदा ?
वक्त की ड़ोर बहुत  कमजोर होती है ,
ड़ोर टूटने से पहले 
दिल की  बात ना  निकले तो  क्या फायदा ? 

Tuesday, 29 December 2015

                              


            अब तो आदत सी हो गई है ऐसे जीने की 














शमा जसन का होता है
और हम तन्हाई में जीते है  ,

 शिकवा अपनों से होता है
और हम खुद से शिकायत करते  है .

वादे बहुतो ने किये साथ निभाने का 
पर आज भी  तन्हाई साथ निभाता है .

कुछ अपनों ने कहा आ जाओ साथ मेरे 
कब तक  युही वक्त बिताओगे ...

पर ,अब तो आदत सी  हो गई है ऐसे जीने की 
थोडा सा   दर्द होता  है सिने में . 

फिर भी बड़ा मजा आता है जीने में ,
क्योकि ,अब तो आदत सी  हो गई है इस दर्द में जीने की.